आज महान शिक्षाविद् गिजूभाई बधेका जी की जयंती है। टीचर्स ऑफ बिहार आपसे निवेदन करती है कि श्रद्धांजलि के रुप में हम सभी शिक्षक व शिक्षा अधिकारी उनके शैक्षिक विचारों को जानें, समझें और उसे विद्यालय में लागू करने की कोशिश के साथ साथ उनकी अनमोल कृति संसार विशेष कर ‘दिवास्वप्न’ को जरूर पढ़ें।
गिजुभाई बधेका (अंग्रेज़ी: Gijubhai Badheka, जन्म-15 नवम्बर, 1885, सौराष्ट्र; मृत्यु- 23 जून, 1939) गुजराती भाषा के लेखक और महान् शिक्षाशास्त्री थे। छोटे बच्चों की शिक्षा को नई दिशा देने में इनका अत्यधिक योगदान रहा है। गीजू भाई समाज सुधार और राष्ट्रीय महत्त्व के अन्य कामों में भी पूरी रुचि लेते थे। 'दक्षिणामूर्ति' संस्था से गीजू भाई 1936 तक जुड़े रहे।
गिजुभाई बधेका एक शिक्षक थे। उनका मानना था कि शिक्षा बच्चे की रुचियों, जरूरतों और क्षमताओं पर आधारित होनी चाहिए. उनका मानना था कि शिक्षक की भूमिका केवल जानकारी प्रदान करने के बजाय बच्चे की शिक्षा को सुविधाजनक बनाना है. गिजुभाई ने महसूस किया कि यदि बच्चों के साथ सम्मान से व्यवहार किया जाए और सीखने के पर्याप्त सार्थक अवसर हों, तो कोई भी बच्चा स्कूल आने से गुरेज नहीं करेगा। वास्तव में, वे ऐसी जगह पर रहने के लिए उत्सुक होंगे जहां बहुत सारे बच्चे और एक वयस्क हों जो उन्हें अपने आसपास की दुनिया का पता लगाने में मदद करें। गीजू भाई का जन्म 15 नवम्बर, 1885 को सौराष्ट्र के चित्तल नामक स्थान में हुआ था। उनका असली नाम 'गिरिजा शंकर बधेका' था, लेकिन वे गीजू के नाम से ही प्रसिद्ध हुए। बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के कारण लोग उन्हें 'मोछाई माँ' अर्थात् मूछों वाली माँ भी कहते थे। छोटे बच्चों की शिक्षा को नई दिशा देने ने इनका अत्याधिक योगदान रहा है। उन्होंने अपनी संस्था में हरिजनों को प्रवेश दिया और बारदोली सत्याग्रह के समय लोगों की सहायता के लिए बच्चों की 'वानर सेना' संगठित की। गीजू भाई को कॉलेज की शिक्षा बीच में छोड़ कर आजीविका के लिए 1907 में पूर्वी अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ से वापस आने पर उन्होंने कानून की शिक्षा पूरी की और वकालत करने लगे थे।
- गिजूभाई बधेका के बारे में कुछ और जानकारी:
- उनका पूरा नाम गिरिजाशंकर भगवानजी बधेका था.
- उनका जन्म चित्तल सौराष्ट (गुजरात) में 15 नवंबर 1885 को हुआ था.
- वे एक उच्च न्यायालय के वकील थे.
- 1915 में वे श्री दक्षिणामूर्ति विद्यार्थी भवन के कानूनी सलाहकार बन गए.
- उन्होंने बाल मंदिर नामक विद्यालय की स्थापना की.
गिजूभाई बधेका द्वारा रचित पुस्तकें पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें-
- दिवास्वप्न- https://www.teachersofbihar.org/eresources/divasvapna-1700029676
- कहानी का शास्त्र-https://www.teachersofbihar.org/eresources/kahani-ka-shastra-gijubhai-1700029947
- कला की शिक्षा- https://www.teachersofbihar.org/eresources/kala-ki-shiksha-gijubhai-1700030171
- माता-पिता के प्रश्न- https://www.teachersofbihar.org/eresources/mata-pita-ke-prashna-1700030357
- माँ-बाप की माथापच्ची-https://www.teachersofbihar.org/eresources/maa-baap-ki-maathapacchi-gijubhai-1700030498