SUBHANKAR KUMAR YADVENDU (शुभंकर कुमार यादवेंदु )
ID: b3cbd1805c99

अनुगूँज-हिंदी की

  • Gender: 👨 Male
  • Class / Role: 🎓 Class 10
  • School: 🏫 JNKT INTER SCHOOL KHAGARIA (जननायक कर्पूरी ठाकुर इंटर स्कूल खगड़िया )
  • District & Block: 📍 KHAGARIA, --Select Block--
  • Applied Category: 📝 पत्र लेखन
Rejected
हिंदी के महत्व को बताते हुए माता का पुत्री के नाम

प्रिय पुत्री,                                                    जीवन के हर पथ पर सफलता और सुख की कामना के साथ।


मैं स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली मानती हूँ कि आज मैं अपने हाथों से तुम्हें यह पत्र लिख रही हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं तुम्हें उस सच्चाई से अवगत कराना चाहती हूँ कि आज के समय में जहाँ हिन्दी के महत्त्व को समझना चाहिए, वहीं लोग विदेशी भाषाओं के आकर्षण में पड़कर हिन्दी से दूर होते जा रहे हैं। विदेशी भाषा का जानकार लोग अपनी ही मातृभाषा बोलने में शर्म महसूस करते हैं, यह अत्यंत दुख की बात है।


प्रिय पुत्री, हम भारत देश के वासी हैं, जहाँ की आत्मा केवल बोलचाल का साधन नहीं बल्कि हमारी संस्कृति की धरोहर भी है। यह परम्परा शताब्दियों से हमारे भारतवर्ष में चली आ रही है, जिसकी तुलना पूरे विश्व से कोई नहीं कर सकता।


लोकतांत्रिक आधार पर भी हिन्दी विश्व की बड़ी भाषाओं में से एक है। संसार के 132 देशों में इसे भारतीय मूल के लगभग 40 करोड़ लोग निवास करते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं। विभिन्न संस्कृतियों में हिन्दी की विशेष पहचान है और यह भाषा परिवार की भाषाओं की प्रतिनिधि मानी जाती है।


प्रिय पुत्री, अब मैं तुम्हें हिन्दी के प्रारंभिक इतिहास से परिचित कराना चाहती हूँ। हिन्दी की उत्पत्ति प्राकृतभाषा से मानी जाती है। संस्कृत, प्राकृत से अपभ्रंश और अपभ्रंश से धीरे-धीरे हिन्दी का स्वरूप बना। सन्तों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपभ्रंश का प्रयोग किया, जो आगे चलकर हिन्दी में परिवर्तित हुआ। आदिकाल में वीरगाथा काव्य की रचना हुई, उसके बाद अधिक जागरूक कवियों (कबीर, सूर, मीरा आदि) और आधुनिक काल में गद्य, पद्य, नाटक आदि पर हिन्दी साहित्यकारों ने हिन्दी को और सशक्त बनाया।


आज हिन्दी भारत की राजभाषा है। संविधान 46 धाराओं द्वारा इसे मान्यता के रूप में स्थापित किया गया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में यह प्रमुख भाषा है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में भी लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं। विदेशी देशों जैसे नेपाल, मॉरीशस, फिजी, सिंगापुर, सुरिनाम, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा और खाड़ी देशों में भी हिन्दी बोलने वालों की संख्या बहुत अधिक है। इस प्रकार हिन्दी आज राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की भाषा बन चुकी है।


प्रिय पुत्री, बड़ा सोचकर दुख होता है कि आजकल लोग हिन्दी से दूरी बना रहे हैं। अंग्रेजी को ही आधुनिकता और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में हिन्दी की उपेक्षा की जा रही है। मीडिया और इंटरनेट पर अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। यदि हम अपनी भाषा से मुँह मोड़ेंगे, तो अपनी जड़ों से ही कट जाएँगे।


इसलिए तुम्हें सदा याद रखना चाहिए कि हमारी मातृभाषा हिन्दी केवल भाषा नहीं, बल्कि हमारी अस्मिता और पहचान है। हमें गर्व करना ही नहीं, अपितु प्रयत्न से अपने देश और संस्कृति का सम्मान करना है। मुझे विश्वास है कि तुम हिन्दी पर गर्व करोगी और दूसरों को भी इसके महत्त्व का संदेश दोगी।


स्नेह सहित,

तुम्हारी माता


Remarks
शब्द सीमा से अधिक
619 Views 64 Likes