Ruchika (रूचिका )
ID: 6b78353c318b

अनुगूँज-हिंदी की

  • Gender: 👩 Female
  • Class / Role: 👩‍🏫 Teacher
  • School: 🏫 Primary school kurmauli (प्राथमिक विद्यालय कुरमौली )
  • District & Block: 📍 SIWAN, GUTHANI
  • Applied Category: 📝 पत्र लेखन
Rejected
माँ सी हिंदी

माँ सी हिंदी हर बार हमारी 

अस्मिता की पहचान बनी।

जब कभी जुबा फिसली

यही हमारा सम्मान बनी।

नही सोचती क्या है मानक

बस भावों की अभिव्यक्ति हो

सहज सरल सरस है हिंदी

सबकी ही जान बनी।


भारत का चाहे कोई कोना हो

हिंदी ही हमारी सच्ची अभिव्यक्ति है

समेटती न जाने कितनी भाषाएँ

इससे ही समृद्दि है।

क्रोध,घृणा प्रेम शृंगार सबको सम्भाले,

इसकी अनोखी कृति है।

नैनों की भाषा बनकर

यह दिल की अरमान बनी।


मुहावरे लोकोक्तियों से शृंगार करें,

रस छंद से सँवारे हम।

दोहा,सोरठा, चौपाई बरबस मोहे मन को

ग़ज़ल भी स्वीकारे हम।

रिपोतार्ज हो,यात्रा वृतांत हो

आलोचना,लेख या फिर संस्मरण

सबके ह्रदय पर छाप छोड़ती

यह सबकी है शान बनी।


माँ की लोरी से ले पिता की फटकार तक,

दोस्तों की नोंक-झोंक से ले

भाई - बहन की तकरार तक

प्रेमी की मनुहार हो

या प्रेम का शृंगार हो

सबके मन को बरबस भाए

यह जन-जन की अभिमान बनी।

हिंदी हमारे ह्रदय की भाषा

अस्मिता की पहचान बनी।

Remarks
This is poem.
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